Monday, September 2, 2013

Sawaar loon - a hit at home

हवा के झोंके आज मौसोमों से रूठ गए
गुलों की शोखियाँ जो भंवरे आके लूट गए
बदल रही है आज ज़िन्दगी की चाल ज़रा
इसी बहाने क्यों ना मैं भी दिल का हाल ज़रा
सवार लूं हाय सवार लूं

बरामदे पुराने हैं, नयी सी धूप है
जो पलके खटखटा रहा है किसका रूप है
शरारतें करे जो ऐसे भूलके हिजाब
कैसे उसको नाम से , में पुकार लूं

सवार लूं, सवार लूं

ये सारी कोयलें बनी हैं आज डाकिया
कुहू-कुहू मे चिठिया पढ़े मज़ाकिया
इन्हें कहो की ना छुपाये
किसने है लिखा बताये
उसकी आज मैं नज़र उतार लूं
सवार लूं, सवार लूं

हवा के झोंके आज मौसोमों से रूठ गए
गुलों की शोखियाँ जो भंवरे आके लूट गए
बदल रही है आज ज़िन्दगी की चाल ज़रा
इसी बहाने क्यों ना मैं भी दिल का हाल ज़रा
सवार लूं हाय सवार लूं